तेरी आवाज़ से पहले तेरे दर पर खड़ा होतातेरी आवाज़ से पहले तेरे दर पर खड़ा होता न होता है सर तो कहीं ज़मीन पर पड़ा होताApr 30Apr 30
जो तुझको मान चुका होजो तुझको मान चुका हो किसी को क्या माने न किसी को नीच न किसी को खुदा मानेOct 27, 2024Oct 27, 2024
कुछ फिसल कुछ संभल रहा हूँकुछ फिसल कुछ संभल रहा हूँ जैसे किसी सरहद पर चल रहा हूँSep 19, 2023Sep 19, 2023
Published inLiterary Impulseबुलाते हो तोकहाँ रुक पाता हूँFeb 13, 2023A response icon1Feb 13, 2023A response icon1
Published inLiterary Impulseये क्या हाल बना रखा हैआसमाँ सर पर उठा रखा हैAug 22, 2022A response icon1Aug 22, 2022A response icon1
Published inLiterary Impulseऐ दिलन रूठ इतना भी किसी बहाने के लिएJul 31, 2022A response icon1Jul 31, 2022A response icon1
Published inLiterary Impulseये आदतेंकहती हो कि आदतें अच्छी पाल रखी हैं तुमनेJun 29, 2022A response icon1Jun 29, 2022A response icon1
Published inLiterary Impulseबच्चों का एक मेला है दुनिया मेरे आगेहोता है यहाँ रोज़ तमाशा मेरे आगेMay 28, 2022May 28, 2022
Published inLiterary Impulseखुश होकर रह जाते हो हर बारकम से कम आज तो मुस्करा दो एक बारMay 8, 2022May 8, 2022