ऐ दिल
न रूठ इतना भी किसी बहाने के लिए
Published in
Jul 31, 2022
ऐ दिल न रूठ इतना भी किसी बहाने के लिए
ऐसा न हो कुछ बचे ही न मनाने के लिए
न कर यूँ बेक़दरी हर इल्तिजा हर फ़रियाद की
कि हाथ ही न कोई बचे दुआ में उठाने के लिए
न कर इतना भी यकीन अपनी इस मोहब्बत पर
वजह कोई काफ़ी नहीं उसे अमर बनाने के लिए
नज़र चुरा जो लेते तो भी अपने से ही लगते
पहचानो तो कुछ बोलूं याद दिलाने के लिए