सच में सच निकलने लगते हैं

कुछ ख़्वाब हम बुनने लगते हैं

Saurabh
Literary Impulse
Published in
Apr 30, 2022

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Photo by Bhautik Andhariya on Unsplash

सच में सच निकलने लगते हैं
कुछ ख़्वाब हम बुनने लगते हैं

जन्मों का सफर हो जैसे एक नज़र
यूँ ही नहीं आप अपने से लगने लगते हैं

रक़ीबों की भीड़ में हम भी एक रक़ीब हों
उम्मीदें कुछ खुद से भी रखने लगते हैं

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