बुलाते हो तो
कहाँ रुक पाता हूँ
Published in
Feb 13, 2023
बुलाते हो तो कहाँ रुक पाता हूँ
मानता नहीं हूँ कि चला आता हूँ
सदियों से बदनाम हैं गलियाँ तेरी
कुछ दाग हर बार साथ ले आता हूँ
खुद में मसरूफ़ हूँ कि खुद से महरूम हूँ
जीता हूँ कुछ पल तो कुछ खो आता हूँ
गम-ए-जहाँ से निजात कहाँ गम एक ये भी
जीतता कहाँ हूँ जीता हुआ भी हार आता हूँ
कहानी लिखने चला हूँ किस्सा बन गया हूँ
सुनता कौन है यहाँ बस लिखे चला जाता हूँ