ये आदतें
कहती हो कि आदतें अच्छी पाल रखी हैं तुमने
Published in
Jun 29, 2022
कहती हो कि आदतें अच्छी पाल रखी हैं तुमने
फिर ये आदतें ही क्यूँ बुरी लग जाती हैं तुम्हें
बेवजह ही चुप रह जाना
बस यूँ ही कभी भी खुश हो जाना
डर को तुम्हारे हँसी में टाल देना
बेखबर लापरवाह ही सही
पर जिए जाना भी तो एक आदत ही है
पैर छूना भी तो एक आदत सी ही है
मतलब पता होता तो तुम्हारे न छू लेता
हाँ कभी बेमानी सी लगती हैं ये आदतें
मन का तुम्हारे क्या हाल है
तुम नहीं बताती तुम्हारी आदतें बता देती हैं
मन को जैसे भाँप जाती है ये आदतें
मुझको मैं और तुमको तुम बनाती हैं ये आदतें
फिर ये आदतें ही क्यूँ बुरी लग जाती हैं तुम्हें