Saurabhकुछ फिसल कुछ संभल रहा हूँकुछ फिसल कुछ संभल रहा हूँ जैसे किसी सरहद पर चल रहा हूँSep 19, 2023Sep 19, 2023
SaurabhinLiterary Impulseबच्चों का एक मेला है दुनिया मेरे आगेहोता है यहाँ रोज़ तमाशा मेरे आगेMay 28, 20221May 28, 20221
SaurabhinLiterary Impulseखुश होकर रह जाते हो हर बारकम से कम आज तो मुस्करा दो एक बारMay 8, 2022May 8, 2022
SaurabhinLiterary Impulseसच में सच निकलने लगते हैंकुछ ख़्वाब हम बुनने लगते हैंApr 30, 20221Apr 30, 20221
SaurabhBorn In Kiev And Died In A WarFrom somewhere deep inside me, the shadows emergeApr 9, 20221Apr 9, 20221