जो तुझको मान चुका होजो तुझको मान चुका हो किसी को क्या माने न किसी को नीच न किसी को खुदा मानेOct 27Oct 27
कुछ फिसल कुछ संभल रहा हूँकुछ फिसल कुछ संभल रहा हूँ जैसे किसी सरहद पर चल रहा हूँSep 19, 2023Sep 19, 2023
Published inLiterary Impulseये आदतेंकहती हो कि आदतें अच्छी पाल रखी हैं तुमनेJun 29, 20221Jun 29, 20221
Published inLiterary Impulseबच्चों का एक मेला है दुनिया मेरे आगेहोता है यहाँ रोज़ तमाशा मेरे आगेMay 28, 20221May 28, 20221
Published inLiterary Impulseखुश होकर रह जाते हो हर बारकम से कम आज तो मुस्करा दो एक बारMay 8, 2022May 8, 2022
Published inLiterary Impulseसच में सच निकलने लगते हैंकुछ ख़्वाब हम बुनने लगते हैंApr 30, 20221Apr 30, 20221